मुख्य मंदिर
दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर हिंदुओं के देश नें नहीं है बल्कि कम्बोडिया में है जो कि एक बौद्ध देश है। यह केवल सबसे बड़ा मंदिर ही नहीं है, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी है.
यह कम्बोडिया के अति प्राचीन शहर अंगकोर में स्थित है और अंगकोर वाट के नाम से जाना जाता है. वाट कम्बोडियाई भाषा में मंदिर को कहते हैं. वास्तव में यह एक विष्णु को समर्पित मंदिरों का एक बहुत बड़ा समूह है जो जो सैकड़ों वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. अंगकोर पुराने समय में कम्बोडिया की राजधानी हुआ करता था और उस समय इसे यशोधरपुर कहा जाता था. अब यह शहर ना के बराबर है. अब यहाँ से छः किलोमीटर दूर सियेमरीप नामक शहर है और मंदिर देखने जाने के लिए सियेम रीप जाना पड़ता है. सियेम रीप छोटा, पर सभी सुविधा संपन्न शहर है. यहाँ सारी दुनिया से पर्यटक आते हैं. असल में पर्यटन ही इस शहर का मुख्य व्यवसाय है.
मैं और मंडी के मेरे मित्र रामेश्वर शर्मा
एक बहुत अच्छी बात जो मैंने यहाँ देखी वो यह थी कि यहाँ दुनिया के अन्य टूरिस्ट शहरों वाली लूट खसोट नहीं है. लोग बहुत भले हैं और यह जगह भारत से भी सस्ती है.
इस मंदिर का निर्माण सूर्य वर्मा द्वितीय (1049 – 66) ने शुरू कराया था.
यह मंदिर वास्तु कला का एक आश्चर्य है. इसके चारों ओर एक गहरी खाई है जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फुट है। खाई पर पश्चिम की ओर एक पत्थर का पुल है। मंदिर के पश्चिमी द्वार के समीप से पहली वीथि तक बना हुआ मार्ग 1560 फुट लंबा है और भूमितल से सात फुट ऊंचा है। पहली वीथि पूर्व से पश्चिम 800 फुट और उत्तर से दक्षिण 675 फुट लंबी है। मंदिर के मध्यवर्ती शिखर की ऊंचाई भूमितल से 210 फुट से भी अधिक है। अंकोरवाट की भव्यता तो उल्लेखनीय है ही, इसके शिल्प की सूक्ष्म विदग्धता, नक्शे की सममिति, यथार्थ अनुपात तथा सुंदर अलंकृत मूर्तिकारी भी उत्कृष्ट कला की दृष्टि से कम प्रशंसनीय नहीं है।
परिसर का एक और मंदिर
हालांकि बहुत से मंदिर अब खंडहरों में बदल गए हैं पर फिर ये भी बहुत ही शानदार हैं. एक मंदिर के जीर्णोद्धार का काम भारतीय पुरातत्त्व विभाग की सहायता से हो रहा था.
एक मंदिर में बना विशालकाय मानव सिर - ऐसे मानव सिर इन मंदिरों की विशेषता है.
यह सचमुच ही बहुत दर्शनीय स्थान है और मेरी राय में अगर हो सके तो इसे अवश्य देखना चाहिए.
अर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा लगाया साइन बोर्ड
इस मंदिर का जीर्णोद्धार भारत के सहयोग से
इस मंदिर का जीर्णोद्धार भारत के सहयोग से
किया जा रहा था.
बहुत सुन्दर विवेचना।
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