March 30, 2018

डैड सी (DEAD SEA), एक ऐसा समुद्र जहां डूबने का कोइ ख़तरा नहीं है.



इजरायल में मैं अपने मित्रों के साथ, मेरे होस्ट मोशे जो
वहां की रेयर फ्रूट सोसाइटी के अध्यक्ष थे, बीच में बैठे हुए


आइये आज आपको बताते हैं एक बहुत ही आश्चर्यजनक स्थान के बारे में. इसको नाम तो सागर का दिया गया है पर वास्तव में यह एक बहुत बड़ी झील है. इसके विशाल आकार के कारण इसको “समुद्र” कहते हैं. इस समुद्र की विशेषता यह है की यदि कोइ आपको इसमें धकेल दे
, या आप स्वयं ही इसमें छलांग लगा दें, या फिर वो किश्ती या जहाज जिसमें बैठ कर इसमें यात्रा कर रहे हों और भगवान न करे वह टाईटैनिक जहाज़  की तरह डूब जाए, तो भी आप नहीं डूबेंगे और पानी की सतह पर तैरते ही रहेंगे.


डैड सी का विहंगम दृश्य


 डैड सी में डूबने के खतरे से निश्चिंत, नहाने का पूरा आनंद लेते
 हि. प्र. कृषि विश्व विद्ययालय, पालमपुर के प्रोफेसर जनार्दन सिंह

     इस स्थान की कुछ अन्य दिलचस्प विशेषताएं भी हैं. यह दुनिया का समुद्र तल से सबसे नीचा स्थान है. इसकी एलीवेशन मीन सी लैवल से 429 मीटर नीचे है. इसके पानी में 34 प्रतिशत नमक है जो अन्य समुद्रों के पानी से लगभग दस गुना अधिक है.

किनारे पर मैं और मोशे

      डैड सी जॉर्डन रिफ्ट घाटी में स्थित है. इसके एक ओर जॉर्डन है और दूसरी ओर इजरायल. मैं जब 2007 में इजरायल गया था, तो मेरे इजरायली मेज़बान, मोशे, मुझे यहाँ भी ले घुमाने लगे थे.

डैड सी का एक और दृश्य
      डैड सी को अब पर्यटक स्थल के रूप में बहुत विकसित कर लिया गया है और यहाँ प्रति वर्ष लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं. इसके किनारे सभी वर्गों के टूरिस्टों के हिसाब से होटल और रिजोर्ट बने हैं. कहा जाता है कि डैड सी के पानी, विशेषकर किनारे के कीचड वाले पानी में, नहाने से कई तरह के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. यह कीचड मैंने इजरायल सभी टूरिस्ट स्थलों पर में आकर्षक डिब्बों तथा जारों में काफी महंगे दाम पर बिकता देखा.

किनारे पर खडा मैं, पत्थरों पर सफ़ेद नमक लगा है

      इजरायल में डैड सी के किनारे जाने के लिए 3-4 स्थान विकसित किये गए हैं. जब आप मुख्य सड़क से तट की ओर जाते हैं, तो रास्ते में मील पत्थरों पर उस स्थान की एलीवेशन भी लिखी रहती है जिस से आपको पता चलता रहता है की आप मीन सी लैवल से कितना नीचे आ चुके हैं.

किनारे पर बैठे हाथ धोता मैं

      तट पर पार्किंग तथा निजी सामान रखने की सुविधा होती है. आप जैसे ही पानी में दुबकी लगा कर बाहर निकलते हैं, आपका पूरा बदन पाने में घुले नमक के कारण सफ़ेद हो जाता है. बहुतों को खुजली भी मैसूस होने लगती है. किनारे पर ही सरकार की ओर से मीठे पानी के शावर लगे हुए थे जहां आकर आप नहा सकते हैं और अपने शरीर में लगे नमक को धो सकते हैं.

किनारे पर समुद्र में नहाने के बाद मीठे पानी से नहाने के लिए लगे शावर 

      जिस दिन मैं वहां गया था, उस दिन वहां बहुत ठण्ड थी, इसलिए मै नहाने की हिम्मत तो नहीं कर सका, पर मैंने किनारे पर बैठ कर अपने हाथ धोये जो कि एक दम सफेद हो गए थे. मुझे हाथों में हल्की खुजली भी मैसूस हुई.
डैड सी का काला कीचड - 85 ग्राम के इस जार का मूल्य है 1801  रुपये
      वास्तव वो सारा एरिया कटोरेनुमा है जहां बारिश का या फिर बरसात के मौसम में जॉर्डन नदी का पानी आ तो जाता है, पर बाहर नहीं निकल पाता. गर्मी से इस पानी का वाष्पीकरण होता रहता है और यह क्रम पिछले 65,000 सालों से चल रहा है. जिसके कारण इस पानी में घुले लवणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है. 
      इजरायली भूसर्वेक्षण वैज्ञानिकों के मतानुसार अब डैड सी का जलस्तर लगभग एक मीटर प्रति वर्ष की दर से गिरना शुरू हो गया है. इससे यह भी हो सकता है कुछ सदियों के बाद यह सागर लुप्त ही हो जाए.

March 23, 2018

नाशपाती, जो नज़र आती है सेब

सेब जैसी दिखने वाली पीसफुल रोजी क्लाउड नाशपाती

यह है “पीसफुल रोजी क्लाउड” नाशपाती, जो देखने में बिलकुल सेब लगती है पर स्वाद में नाशपाती है.
नाशपाती की यह किस्म चीन के प्रोफ़ेसर झांग शाओलिन ने खोजी है. प्रो. शाओलिन चीन के नानजिंग कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाते मैं और इसी यूनिवर्सिटी पियर रिसर्च सेंटर में फ्रूट ब्रीडिंग पर  अनुसंधान करते हैं और नाशपातियों पर अपनी खोजों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं. 

इस नाशपाती के फल केवल देखने में ही आकर्षक नहीं है परन्तु खाने में भी बहुत स्वादिष्ट है. इनका स्वाद हल्की खटास लिए मीठा है. इसका गूदा नरम और रसदार है. पीसफुल रोजी क्लाउड नाशपाती के फल न केवल बाहर से, बल्कि अन्दर से भी सेब जैसे दिखाते हैं. प्रो. शाओलिन को पूरी उम्मीद है कि नाशपाती की यह नयी किस्म लोगों को पसंद आयेगी और भविष्य में बहुत लोक प्रिय होगी.

प्रो झांग शाओलिन

पीसफुल रोजी क्लाउड नाशपाती के फल प्रो शाओलिन ने चीन के उत्तर पश्चिमी भाग में देखे थे. उन्होंने इस किस्म के पेड़ वहां से लाकर अपने अनुसंधान केंद्र में कई वर्षों तक टेस्ट किये और फिर तब इनको बागबानों को बांटना शुरू किया.