June 4, 2018

“मैन” नहीं, “इण्डिया मैन”


मैं पश्चिम अफ्रीकी देश लाइबेरिया में दो वर्ष रहा हूँ. वहां मैं लाइबेरिया यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर में पढाया करता था और उस देश की राजधानी मोनरोविया में रहता था. 
 
उस देश में रिवाज़ था कि जब भी पुरुष और महिला किसी रेस्तोरां या बार में खा पी रहे हों, तो बिल पुरुष को ही देना होता था. अगर किसी कारण बिल की पेमेंट महिला को करनी पड़ जाती, तो वह इसमें अपमानित अनुभव करती. सोचती, के यहाँ बैठे बाकी लोग यह देख कर मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे.

कॉलेज में मेरी अफ्रीकन टीचिंग असिस्टेंट, लीयेटा मुझे बताया करती थी की उसका छोटा भाई अभी बेकार है. इसलिए उसके पास पैसे नहीं होते और वह जब अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बाहर खा पी रहा होता है, तो बिल नहीं चुका सकता. हालांकि उसकी गर्ल फ्रेंड, जो एक दूकान में सेल्स गर्ल की नौकरी करती थी, बिल चुका सकती थी पर ब्वॉय फ्रेंड के साथ होते हुए उसका बिल चुकाना शर्म की बात होती, इसलिए वह लडकी बाहर चलने से पहले कुछ पैसे लीयेटा के भाई को बिल चुकाने के लिये दे दिया करती थी ताकि वह इस शर्मिंदगी से बच सके.

मेरी एक मेरी ही उम्र की महिला सहयोगी मैल्वीना ओकेच थी. वह होम साइंस पढ़ाया करती थी. वह अमेरिका में पढी थी और अपने पति से अलग हो चुकी थी. वह बहुत ही सुन्दर, मिलनसार और खुश मिजाज़ महिला थी. उसकी अपनी कार थी और उसमें कभी कभी वह मुझको भी घुमा लाया करती थी. घूमने के दौरान हम किसी रेस्तौरां में बैठ कर खा पी भी लिया करते थे.

 मोनरोविया में अपने सहयोगियों के साथ पार्टी करते हुए
मेल्वीना सामने वाली पंक्ति में दूसरे स्थान पर बैठी है.

जब हम दोनों पहली बार एक रेस्तौरां में गए, तो बिल की पेमेंट मैंने ही कर दी. यहाँ मैं एक बात आप मित्रों को बता दूं, कि जब भी भारतीय किसी फौरेन असाइंमेंट पर कहीं विदेश गए होते हैं, तो उनका मुख्य उद्देश्य वहां से पैसा बचा कर लाना ही होता है. इसलिए हम लोग वहां अधिक से अधिक किफायत और कंजूसी से रहते हैं. इस कंजूसी को वहां कोइ बुरा भी नहीं समझता और ना ही एक दूसरे से छुपाया जाता है. बल्कि सभी एक दूसरे से अधिक पैसे बचाने के तरीके भी पूछा करते हैं.

अब आते हैं असली बात पर. जब मैं और मैल्वीना दूसरी बार बाहर रेस्तौरां में गए और बिल आया तो मैंने मैल्वीना की ओर देखा. मेरा इशारा था कि इस बार वो बिल चुकाए. पर शायद वो मेरा अभिप्राय नहीं समझी क्योंकि वहां के कल्चर के मुताबिक़ बिल तो पुरुष को ही चुकाना होता था. अन्त में मैंने उसको कह ही दिया कि इस बार बिल चुकाने की उसकी बारी है. इस पर उसने कहा कि नहीं, बिल मैं ही चुकाऊँ. मैंने कारण पूछा तो वह बोली,Because you are a man”.
इस पर मैंने कहा, “नहीं, मैं “मैन” नहीं हूँ”. तब वह बोली कि तो क्या तुम “वोमन” हो. मैं बोला कि मैं “मैन” नहीं बल्कि “इण्डिया मैन” हूँ. (लाइबेरिया में इन्डियन नहीं बल्कि भारतीयों को “इण्डिया मैन” कहा करते थे. इसी प्रकार घाना के लोगों को “घाना मैन”, चीन के लोगों को “चाइना मैन” और नाइजीरिया के लोगों के “नाइजीरिया मैन” कहते हैं.)


एक मित्र के घर पर चल रही पार्टी में चल रहा नाच गाना
लाइबेरिया के लोग बहुत ही मस्ती भरा जीवन जीते हैं. काश हम भी उन जैसे हो सकते.

इस पर मेल्वीना बोली, “क्या मतलब?”. तब मैंने उसे समझाया की अगर मैं इस यहाँ तरह औरतों के बिल चुकाने लगा तो कंगाल हो जाउंगा और भारत में मेरा परिवार भूखा मरेगा.
मेरी बात मेल्वीना की समझ में आ गयी. वह बोली पर यहाँ जब लोग मुझको (यानी नारी को) बिल देते हुए देखेंगे तो उसके बारे में क्या सोचेंगे. यह तो उसके लिए तो यह शर्म की बात होगी. इस बात का हल खोज कर यह तय हुआ की भविष्य में जब भी हम दोनों कहीं साथ खाएं, तो वहां पर दिखाने भर को उस वक्त बिल की पेमैंट मैं कर दिया करूंगा. बाद में हम दोनों हिसाब कर लिया करेंगे.

उसके बाद जब तक मैं वहां रहा, हम ऐसा ही करते रहे. इससे लोगों की नज़रों में मेल्वीना इज्जत भी बनी रही और मेरे पैसे भी खर्च होने से बच गए. 

कई वर्षों से लाइबेरिया में रह रहे हमारे एक वरिष्ठ सहयोगी को जब यह बात पता चली तो वे बोले की परमार यहाँ पहला हिन्दुस्तानी है जिसने लाइबेरियन औरत से पैसे खरचवा दिये वरना यहाँ की औरतें चाहे कुछ भी हो जाए पर मर्द के साथ रहते अपने पैसे नहीं खरचतीं.


2 comments:

  1. Excellent as always. Dr Parmar is a man of several charms. It could only be an India Man who could extract money from a Liberian woman!
    Cultural variety teaches us so many things. But 21st C is the C of out of box thinking and breaking away from tradition. I hope Liberia has also experienced winds of change.

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