आज मेरे ब्लॉग के पाठकों का आंकड़ा एक लाख को पार गया. दोपहर 1.45 बजे तक
इसको 1,00,182 लोग देख चुके थे. एक लेखक के लिए इस से अधिक हर्ष की बात क्या हो
सकती है.
ब्लॉग पोस्टों की पाठक संख्या के ब्लौगर द्वारा दिए गए आंकड़े
इनमें से एक पोस्ट, “कैसे हुआ था भारत आज़ाद मंडी शहर में”, जो 14
अगस्त 2007 को प्रकाशित हुई थी, पाठकों ने सबसे ज्यादा पसंद की और इसे 12769 लोगों
ने पढ़ा. यह अब तक प्रकाशित पोस्टों में सबसे अधिक पढी जाने वाली पोस्ट थी. इसके
बाद 23 नवम्बर 2016 को प्रकाशित अंगरेजी पोस्ट, “The sweetest fruit on
earth”, लोकप्रियता
में दूसरे नंबर पर रही और इसे 9754 लोगों ने पढ़ा.
इस ब्लॉग का लेखन मैंने अपने मित्र मंडी के प्रसिद्ध कहानी लेखक प्रोफ़ेसर
सुन्दर लोहिया जी के सुझाव पर शुरू किया था. हम दोनों अक्सर शाम के समय मंडी के
राजमहल होटल में बैठ कर बातचीत किया करते थे. जब वे मेरी बातें सुनते, तो कहा करते
कि मुझे ये सब किस्से लिख लेने चाहिए और पुस्तक के रूप में छपवाने चाहिए. मैं
हंसता और कहता कि प्रोफ़ेसर साहिब मेरी इन बातों को कौन प्रकाशक छापेगा. पर फिर
मेरे प्रयत्न करने पर इनमे से 6-7 किस्से अंगरेजी अखबार ट्रिब्यून और डेली पोस्ट
में छपे.
मेरे मित्र प्रोफ़ेसर सुन्दर लोहिया जिनके सुझाव
और प्रेरणा से मैंने यह ब्लॉग लिखना शुरू किया
और प्रेरणा से मैंने यह ब्लॉग लिखना शुरू किया
मुझसे मेरी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी यह कहते रहते थे कि मैं
अपने अनुभवों को, विशेषकर अपनी विदेश यात्राओं के अनुभवों को लिखूं.
अंत में मुझे ब्लॉग लेखन की सूझी और यह ब्लाग चालू किया. परिणाम आज
आपके सामने है. यदि ये अनुभव पुस्तक रूप में छपते, तो इतने थोड़े समय में पाठकों का
आंकड़ा एक लाख को कभी पार नहीं कर पाता और ना ही मुझे पाठकों का इतना स्नेह मिल
पाता.
मेरे पास आप लोगों को सुनाने के लिए कई तरह के अनगिनत किस्से हैं जो
मैं इस ब्लॉग में लिखता रहूँगा. आशा है कि आप इन्हें हमेशा की तरह पसंद करते
रहेंगे.
आप सब से मेरा एक अनुरोध यह भी है कि इन किस्सों पर अपनी प्रतिक्रया
अवश्य भेजें ताकि मैं जान सकूं कि मेरा लिखा आप को कैसा लगा.
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