November 19, 2017

रियो डि जनेरो 3 - शुगर लोफ पहाडी



आज आपको रियो डि जनेरो के शुगर लोफ़ के बारे में बताते हैं.  

शुगर लोफ पहाडी 

शुगर लोफ रियो डि जनेरो  शहर को घेरने वाली बहुत सी पहाड़ियों में से एक है. इस की शक्ल काफी विचित्र है. पुर्तगालियों ने इसका नाम शुगर लोफ़ रखा क्योंकि उनके हिसाब से इसकी शक्ल उनके द्वारा बाहर भेजने के लिए बनाए जाने वाले चीनी के पिंडों से मिलती थी   .


शुगर लोफ पहाडी के सामने मैं

मेरा पक्का विश्वास है कि यह पहाड़ अगर कहीं भारत में होता तो इसका नाम अवश्य भगवान शिव पर रख दिया गया होता क्योंकि इसकी शक्ल शिव लिंग जैसी है .

शुगर लोफ पहाडी को जाती केबल कार

केबल कार  के दो अन्य चित्र

शुगर लोफ़ की समुद्र तल से ऊंचाई १२९९ फुट है. यहाँ केबल कार द्वारा पहुंचा जाता है. बहुत सी केबल कारें इस काम में लगी रहती हैं और लोगों को ऊपर नीचे लाती ले जाती रहती हैं. हज़ारों लोग रोज शुगर लोफ़ पर जाते हैं. ऊपर काफी खुला स्थान है जहां लोग घूम फिर सकते हैं और रियो डि जनेरो के दृश्य का आनंद ले सकते है. पूरा रियो डि जनेरो शहर यहाँ से बहुत ही सुन्दर दिखता है  .

जहां से केबल कार के चलने का स्टेशन

सातवाँ चित्र वहां का है जहां से केबल कारें चलती हैं. सारा इंतजाम बहुत ही अच्छा है. आठवाँ चित्र रियो डि जनेरो के उस मोहल्ले का है जहां मेरा मित्र और मेज़बान कार्लोस रहता था. नवें चित्र में कार्लोस अपने घर के गेट पर खड़ा है. अंतिम चित्र में खड़ी दो अफ्रीकी मूल की युवतियां कार्लोस के घर में काम करने वाली नौकरानियां हैं
.
रिओ शहर का वह मोहल्ला जहां मेरा मित्र कार्लोस रहता है

अपने घर के गेट पर कार्लोस

कार्लोस के घर में काम करने वाली दो नौकरानियां

अगली बार आपको रियो डि जनेरो की विश्व प्रसिद्ध ईसा मसीह की मूरती के बारे में बताएँगे.

November 11, 2017

आज इस ब्लॉग के पाठकों का आंकडा एक लाख से पार



आज मेरे ब्लॉग के पाठकों का आंकड़ा एक लाख को पार गया. दोपहर 1.45 बजे तक इसको 1,00,182 लोग देख चुके थे. एक लेखक के लिए इस से अधिक हर्ष की बात क्या हो सकती है.
ब्लॉग पोस्टों की पाठक संख्या के ब्लौगर द्वारा दिए गए आंकड़े

इनमें से एक पोस्ट, “कैसे हुआ था भारत आज़ाद मंडी शहर में”, जो 14 अगस्त 2007 को प्रकाशित हुई थी, पाठकों ने सबसे ज्यादा पसंद की और इसे 12769 लोगों ने पढ़ा. यह अब तक प्रकाशित पोस्टों में सबसे अधिक पढी जाने वाली पोस्ट थी. इसके बाद 23 नवम्बर 2016 को प्रकाशित अंगरेजी पोस्ट, “The sweetest fruit on earth”, लोकप्रियता में दूसरे नंबर पर रही और इसे 9754 लोगों ने पढ़ा.

इस ब्लॉग का लेखन मैंने अपने मित्र मंडी के प्रसिद्ध कहानी लेखक प्रोफ़ेसर सुन्दर लोहिया जी के सुझाव पर शुरू किया था. हम दोनों अक्सर शाम के समय मंडी के राजमहल होटल में बैठ कर बातचीत किया करते थे. जब वे मेरी बातें सुनते, तो कहा करते कि मुझे ये सब किस्से लिख लेने चाहिए और पुस्तक के रूप में छपवाने चाहिए. मैं हंसता और कहता कि प्रोफ़ेसर साहिब मेरी इन बातों को कौन प्रकाशक छापेगा. पर फिर मेरे प्रयत्न करने पर इनमे से 6-7 किस्से अंगरेजी अखबार ट्रिब्यून और डेली पोस्ट में छपे.

मेरे मित्र प्रोफ़ेसर सुन्दर लोहिया जिनके सुझाव
और प्रेरणा से मैंने यह ब्लॉग लिखना शुरू किया

मुझसे मेरी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी यह कहते रहते थे कि मैं अपने अनुभवों को, विशेषकर अपनी विदेश यात्राओं के अनुभवों को लिखूं.    

अंत में मुझे ब्लॉग लेखन की सूझी और यह ब्लाग चालू किया. परिणाम आज आपके सामने है. यदि ये अनुभव पुस्तक रूप में छपते, तो इतने थोड़े समय में पाठकों का आंकड़ा एक लाख को कभी पार नहीं कर पाता और ना ही मुझे पाठकों का इतना स्नेह मिल पाता.

मेरे पास आप लोगों को सुनाने के लिए कई तरह के अनगिनत किस्से हैं जो मैं इस ब्लॉग में लिखता रहूँगा. आशा है कि आप इन्हें हमेशा की तरह पसंद करते रहेंगे.

आप सब से मेरा एक अनुरोध यह भी है कि इन किस्सों पर अपनी प्रतिक्रया अवश्य भेजें ताकि मैं जान सकूं कि मेरा लिखा आप को कैसा लगा.