January 20, 2017

खोदा पहाड़ निकली चुहिया (२) - ब्रुस्सेल्ज़ की मैनेकिन पिस मूर्ति



आज मैं फेसबुक मित्रों को “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” शृंखला का दूसरा किस्सा सुनाऊंगा। यहाँ जाकर भी भारतीय और अन्य विदेशी पर्यटकों को यह लगता है की वे बुरी तरह ठगे गए हैं।
      ब्रुस्सेल्ज़ शहर बेल्जियम की राजधानी है। यह भी योरोप के पुराने शहरों में से एक है और एक साफ सुथरा सुंदर शहर है। यहाँ कई कलात्मक दर्शनीय इमारतें हैं। पर पर्यटकों में सबसे मशहूर है एक 60 सेंटी मीटर ऊंची मूर्ति जिसमें एक नन्हा बालक पेशाब कर रहा होता है। यह  ब्रुस्सेल्ज़ के बीच बाज़ार के अंदर एक गली के कोने में एक आले मे लगाई गई है और इसमें से लगातार पेशाब की धार निकलती रहती है।
       धातु की यह मूर्ति सन 1618-19 में स्थापित की गई थी। कहते हैं कि असली मूर्ति को चोर ले गए और बाद में उसके स्थान पर उस मूर्ति की नकल लगा दी गई। मूर्ति चोरी होने की फिर कोशिश की गई या शायद एकाध बार दुबारा चोरी हो भी गई थी। अब सुना है कि असली मूर्ति संभाल कर सुरक्षित रख दी गई है और और जिस मूर्ति को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक रोज़ वहाँ जाते हैं, वह नकल है।
       मूर्ति का रोज शृंगार किया जाता है और उसे विभिन्न प्रकार के परिधान पहनाए जाते है। कहते हैं कि मूर्ति की ड्रेस रोज अलग होती है।
       मूर्ति तक पहुँचने के लिए शहर की गलियों मैं पैदल चलना होता है। क्योंकि यह कोई बड़ी बिल्डिंग नहीं है और सड़क के कोने में लगी है, तो दूर से पता नहीं चलता और आपको लगभग सारे रास्ते लोगों से पूछते हुए जाना पड़ता है कि मैनेकिन पिस मूर्ति कहाँ जैसे है।
       मैं और मेरी पत्नी 2001 में इंग्लैण्ड गए थे। वहाँ से हमने ब्रुस्सेल्ज़ और पेरिस घूमने का प्रोग्राम बनाया। ब्रुस्सेलज़ में हमने जब यह “प्रसिद्ध” स्थल देखा तो हम दोनों के मुंह से एकदम यही निकला कि लो खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
       मुझे जब भी कोई बेल्जियम का नागरिक मिलता है, मैं उसे यह किस्सा जरूर सुनाता हूँ और इस तरह बेल्जियम से अपनी नाराजगी प्रकट कर देता हूँ।    

 मैनेकिन पिस की मूर्ति 


विभिन्न परिधानों में सजाई गयी मूर्ति

 मूर्ति को देखते और बाद में हमारी तरह ही पछताते पर्यटक

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