कुछ दिन पहले मैंने आपको
अमरीका के चोरों के बारे में बताया था. आज मैं आपको लंदन हवाई अड्डे के चोरों के
बारे में बताऊंगा. जब आदमी घर से बाहर सफ़र पर निकलता है, तो उस दौरान किस्म की
यादगार घटनाएं भी हो जाती हैं.
एक बार मैं दिल्ली से सैन
फ्रांसिस्को जा रहा था. मेरा टिकट ब्रिटिश ऐयरवेज़ का था, इसलिए मुझे पहले दिल्ली
से लंदन जाना था और फिर वहां से सैन फ्रांसिस्को के लिए दूसरी फ्लाईट लेनी थी. दोनों
फ्लाइटें लंदन के हीथ रो हवाई अड्डे में ही थी और दोनों फ्लाइटों में पांच घंटे का
अंतर था. यह समय मुझे हीथ रो पर ही बिताना था.
जहाज़ के लंदन उतरने पर सभी
मुसाफिर जहाज़ से बाहर निकले. फिर थोड़ा पैदल चलने के बाद जो यात्री लंदन तक के थे
वे इम्मीग्रेशन काउंटरों की ओर चले गए और जो जिनको मेरी तरह कहीं आगे जाना था, वे ट्रांजिट
एरिया की ओर जाने वाले रास्ते पर चल पड़े. यात्रियों को ट्रांजिट एरिया में दाखिल
होने से पहले सिक्योरिटी चैक करवाने को कहा गया जिसमे आपके शरीर तलाशी ली जाती है और
आपका हैण्ड बैगेज एक्स रे मशीन द्वारा चैक किया जाता है. मैंने भी अपना हैण्ड बैग,
बैल्ट पाउच, घड़ी आदि खुला सामान निकाल कर जांच लिए एक्स रे बैल्ट पर रख दिए. जांच
अधिकारी ने कहा कि अगर हमारे पास जेब में कोइ बटुआ आदि है तो वह भी निकाल कर जांच
के लिए रख दें. मैंने अपना बटुआ भी निकाल कर रख दिया. इस छोटे फुटकर सामान को रखने
के लिए एक प्लास्टिक की ट्रे दी गयी थी. यह सामान एक्स रे मशीन की बैल्ट में आगे
चला गया और मैं अपनी शारारिक तलाशी के लिए दूसरी ओर चला गया.
अपनी तलाशी के बाद मैंने
एक्स रे मशीन के आगे से अपना सामान समेटा. हैण्ड बैग, घड़ी, बैल्ट पाउच और बटुआ आदि
उठाया. फिर एक तरफ जाकर, घड़ी हाथ में बांधी, बैल्ट पाउच कमर में बांधा और बटुआ जेब
में रख लिया. इस काम में मुझे चार पांच मिनट लग गए. जैसे ही मैं वहां से आगे बढ़ने
के लिए निकला, मेरे मन में अचानक विचार आया कि बटुआ चैक कर लूं. मेरे बटुए में सौ
सौ अमरीकी डॉलर के छः नोट थे जो मैंने बटुए के पहले पार्टीशन में अलग से रखे थे.
उसके बाद पांच दस डॉलर के कुछ छोटे नोट थे. जब मैंने इनको गिना तो इनमे सौ डॉलर का
एक नोट कम था. मैं समझ गया कि किसी ने इनमें से सौ डॉलर का एक नोट खिसका लिया है.
लंदन शहर के प्रसिद्ध औक्सफोर्ड सर्कस मेट्रो स्टेशन के चौक पर
मैं तुरंत एक्स रे मशीन के
पास वापिस आया और वहां तैनात कर्मचारियों के इस बारे में बताया. वे सब कहने लगे कि
वे कुछ नहीं जानते. एक कर्मचारी कहने लगा कि मैंने उनको तुरंत क्यों नहीं बताया.
वहां मुझे एक पुलिसमैन भी
दिखा. मैंने उसको सारी बात बतायी. उसने मेरी बात एक छोटी सी नोटबुक में, जो उसके
पास थी, नोट कर ली पर वह सीरियस नहीं था और उसने टरकाने वाला ही काम किया था.
तब मुझे याद आया कि एक्स रे
मशीन के कर्मचारियों में एक एशियन लड़का भी था जो भारतीय या पाकिस्तानी था. यह लड़का,
जैसे मैंने इस बारे में, ख़ास तौर पर पुलिस वाले से बात करनी शुरू की थी, वहां से
खिसक गया और नज़र नहीं आया. मुझे शक है कि पैसे उसी ने निकाले थे.
अब मेरे पास केवल यह सोच कर
कि, शायद मैंने इस लड़के की कोइ पिछली देनदारी ही देनी होगी, के अलावा अपने मन को तसल्ली
देने का कोइ और चारा ना था. मैं यही कर के आगे बढ़ गया और फिर एक पब में बीयर लेकर इस
नुक्सान का ग़म गलत करने में लग गया.
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