मुझे १९८०-१९८१ में कुछ समय
बगदाद में बिताने का मौक़ा मिला था. मेरी नियुक्ति बग़दाद यूनिवर्सिटी में बतौर
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर ऑफ़ होर्टीकल्चर हुई थी. मैं बग़दाद शहर में रहता था. मेरा फ़्लैट
बग़दाद की प्रसिद्ध सादून स्ट्रीट पर ही था. मेरी पत्नी और मेरी दोनों बेटियाँ भी
मेरे साथ थीं.
ये सद्दाम हुसैन के शासन के
प्रारंभिक दिन थे और उन दिनों ईराक एक बहुत ही समृद्ध देश था और वहां के हालात
बहुत ही अच्छे थे. एक बात जो वहां सबसे अच्छी थी वह थी लौ एंड ऑर्डर की स्थिति. क्राईम
बिलकुल नहीं था. हरेक नागरिक कानून का पालन करता था. अगर कोइ कानून तोड़ता तो उसे
पुलिसमैन उसी समय और वहीं सज़ा दे देता था. जैसे वहां अगर आप सड़क पर पैदल चल रहे
हों और आपको सड़क पार करनी हो तो यह आप ज़ेबरा क्रौस्सिंग पर ही कर सकते थे. बेशक
सड़क खाली भी हो. अगर आप यह नियम तोड़ रहे होते और पुलिस वाले की नज़र आप पर पड़ जाती
तो वह आपके पास आकर आपका चालान कर देता और आपको उसी समय पांच दीनार का जुर्माना
भरना पड़ जाता.
यह है बग़दाद की प्रसिद्ध रशीद स्ट्रीट, जहां आपको पैदल भी सड़क केवल ज़ेबरा क्रोस्सिंग पर ही पार करनी होती थी वरना सिपाही आपको पांच दीनार का जुर्माना कर देता था.
जब वहां ईरान ईराक वार शुरू
हुआ तो हालात बिगड़ने शुरू हो गए. एक दिन इरानी हवाई जहाज़ इराकी पावर हॉउस पर बम्ब
गिरा गए और बिजली की सारी सप्लाई बंद हो गयी. इस से सारी ज़िंदगी अस्त व्यस्त हो
गयी. एक दम मोमबत्तियों की मांग बढ़ गयी. मैं शाम को सादून स्ट्रीट पर घूम रहा था तो
वहां फुटपाथ पर एक आदमी मोमबत्तियां (अरबी में कंदील) बेच रहा था. उसके पास एक
टोकरी थी जिसमें कंदीलें भरी थी. उस आदमी के चारों ओर ग्राहकों की भीड़ लग गयी
क्योंकि हरेक आदमी ज़्यादा से ज़्यादा कंदीलें खरीदना चाहता था. यह सब चल ही रहा था
कि एक और आदमी वहां अचानक प्रगट हुआ और उसने कंदील बेचने वाले को लातों से बुरी
तरह मारना शुरू कर दिया. कंदील वाला बुरी तरह चिल्लाया और अपनी टोकरी उठा कर वहां
से भाग गया.
मैंने पास खड़े एक अरब से
पूछा के यह क्या माजरा है तो उसने मुझे बताया की कंदील का सरकारी भाव १५ फिल (1
दीनार = १००० फिल) है पर यह आदमी २५ फिल में बेच रहा था. हालांकि फिर भी लोग खुशी
से खरीद रहे थे पर यह सरकारी हुकम के खिलाफ था. लात मारने वाला सी आई डी का आदमी
था. जैसे ही उसने हुकम उदूली देखी, एक्शन ले लिया. ऐसे करवाया जाता है नियमों का
पालन.
बग़दाद का प्रसिद्ध और सबसे सुन्दर बाज़ार सादून स्ट्रीट
जैसा कि यह उस वक्त हुआ करता था.
अगर मंडी शहर के फुटपाथ रोकने
वाले दुकानदारों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अन्य कानून तोड़ने वालों के साथ भी ऐसा ही सलूक हो तो मजाल कि अपनी दूकान की हद से बाहर सामान
रख कर आने जाने वालों का रास्ता रोकने की हिम्मत करे.
पर वोट की सरकार में तो
सबकी सिफारिश है और सरकार का किसी को भी डर नहीं है.
कुछ बातों के लिए डिक्टेटरशिप अच्छी व्यस्था है. क्योंकि इस व्यवस्था में पब्लिक से क़ानून का पालन कराया जा सकता है. बग़दाद में सद्दाम हुसैन के कार्य काल में ऐसी कुछ बहुत अच्छी बातें भी थी. उनके किस्से आपको फिर कभी सुनाऊंगा.
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