November 4, 2020

कम्यूनिटी प्रोजेक्ट की जीप

 

आज़ादी के तुरंत बाद भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था। हिमाचल प्रदेश में यह 1951 या 1952 में शुरू हुआ था। मैं उन दिनो स्कूल में पढ़ता था। यह एक बिलकुल नई प्रकार का कार्यक्रम था और इसके बारे लोगों को ज्यादा पता नहीं था। लेकिन हमारे परिवार में इसकी जानकारी थी, क्योकि इस कार्यक्रम के एक अधिकारी हमारे किरायेदार थे और वह मेरे पिताजी को इस परियोजना की गतिविधियों के बारे में बताते रहते थे। इस कार्यक्रम को उस समय “कम्यूनिटी प्रोजेक्ट” कहा जाता था। प्रोजेक्ट का मुख्यालय मंडी से 13 किलो मीटर दूर भंगरोटू में हुआ करता था। भंगरोटू में कृषि विभाग का एक फार्म और एक और्चर्ड एक भी हुआ करता था। शायद इसी कारण भंगरोटू को इस प्रोजेक्ट का मुख्यालय चुना गया था।     


मियां लाल सिंह

       सामुदायिक विकास कार्यक्रम में विकास खंड और ब्लॉक डेव्लपमेंट अधिकारी (बी डी ओ), जैसा की आज है, बहुत बाद में आए। उस समय प्रोजेक्ट का इंचार्ज प्रोजेक्ट ऑफिसर हुआ करता था। भंगरोटू प्रोजेक्ट के नेतृत्व लिए एक अफसर मियां लाल सिंह को लगाया गया था। मियां लाल सिंह मंडी शहर के पास के गाँव दूदर के रहने वाले थे और अपने वक्त के बहुत धाकड़ किस्म के अफसर थे। वे हमारे दूर के संबंधी भी थे। अपने मातहतों से ये बहुत सख्ती से काम लिया करते थे। बाद में ये हिमाचल सरकार में डी सी के पद से रिटायर हुए थे। उनके अनुसार, उनकी इन्हीं योग्यताओं के कारण सरकार ने उनको इस पद के लिए चुना था।
       मियां लाल सिंह को उनके आने जाने के लिए एक जीप दी गई थी। उस वक्त हिमाचल में सरकारी जीपें अभी आनी शुरू ही हुई थीं और बहुत कम अफसरों के पास जीप हुआ करती थी। इस लिए अधिकारियों के बीच जीप को एक स्टेटस सिंबल भी माना जाता था। मियां लाल सिंह ने इस जीप की विंड स्क्रीन के नीचे सफ़ेद अँग्रेजी अक्षरों में “कम्यूनिटी प्रोजेक्ट” लिखवा रखा था। साधारण लोगों के लिए ये एक नया शब्द था। इसलिए हर कोई इसको बहुत उत्सुकता से पढ़ता और इसका अर्थ जानना चाहता। क्योंकि मंडी शहर जिला का मुख्यालय था
, इसलिए प्रोजेक्ट अफसर या उनके सहयोगियों को किसी न किसी काम से लगभग रोज मंडी आना पड़ता था, कभी कभी तो दिन में एक से अधिक बार भी। इसलिए मंडी भंगरोटु सड़क पर जीप दिखती ही रहती थी और लोग इस जीप से परिचित हो गये थे।


ऐसी होती थीं उस वक्त की जीपें

       इसके बाद इस प्रोजेक्ट में विभिन्न पदों के लिए कर्मचारियों की भर्ती शुरू हुई। मंडी में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में चयन के लिए उम्मीदवारों को बुला कर इंटरव्यू लिए जाते। इसी सिलसिले में एक दिन ग्राम सेवक के पद के लिए इंटरव्यू लिया जा रहा था। चयन समिति की अध्यक्षता डिप्टी कमिश्नर कर रहे थे। इंटरव्यू में एक सदस्य ने उम्मीदवार से पूछा, “कम्यूनिटी प्रोजेक्ट क्या है?”। उम्मीदवार ने तुरंत उत्तर दिया, “सर, कम्यूनिटी प्रोजेक्ट एक जीप है जो मंडी और भंगरोटू के बीच चलती रहती है। चयन सम्मिती में हंसी का फव्वारा छूट गया। बेचारा उम्मीदवार समझ ही नहीं पा रहा था कि उसने ऐसा क्या कह दिया जिससे इन लोगों को इतने ज़ोर की हसी आ गई।    

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