January 8, 2020

इंडोनेशिया के बाली में भी होती है रामलीला


हालांकि इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है पर इस देश के एक भाग बाली, जो 38 लाख जन संख्या वाला एक द्वीप है, के 92 प्रतिशत निवासी हिन्दू हैं। इन लोगों का लिबास स्थानीय ही है पर इनके नाम संस्कृत शब्दों पर आधारित होते हैं जैसे कर्ण, इरावती आदि। बहुत सी हिन्दू स्त्रियाँ माथे पर तिलक भी लगाती हैं जिससे इनको पहचाना जा सकता है। यहाँ अनेक हिन्दू मंदिर हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक घर या होटल में किसी स्थान पर छोटा सा मंदिर स्थापित किया हुआ होता है जहां ये लोग अपनी विधि से रोज पूजा अर्चना करते हैं। 

राम लीला देखने बैठे विभिन्न देशों के दर्शक

     बाली अपने सुंदर समुद्र तटों के कारण एक अत्यंत लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह पूरा वर्ष सारी दुनिया से आए सैलानियों से भरा रहता है। मैं 2009 में वहाँ गया था और एक सप्ताह वहाँ रहा।    आपको यह जान कर हैरानी होगी की यहाँ के एक मंदिर, उलूवाटू में रोज शाम को रामलीला का मंचन होता है।  मंदिर के एक भाग में एक काफी बड़ा ओपन एयर थियेटर है बनाया गया है जिसमे कोइ 50-60 कलाकार स्थानीय भाषा में रामलीला प्रस्तुत करते हैं। भाषा भिन्न होने से संवाद तो समझ नहीं आते पर कहानी का अंदाजा लग जाता है। इस रामलीला को देखने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है जो काफी महंगा है। फिर भी जो शो मैंने देखा, उसमे कोई 400 लोग तो अवश्य होंगे। 
एक सुपर मार्केट की सेल्ज़ गर्ल हिन्दू लड़की
इसने माथे पर हिन्दू तिलक लगाया है 


     बाली की रामलीला में हमारे यहाँ की जाने वाली रामलीला से कुछ भिन्नताएँ है। हमारे यहाँ सीता, राम और लक्ष्मण को साधु वेश में दिखाया जाता है। पर वहाँ ऐसा नहीं है। वहाँ ये पात्र पूरे राजसी वेश में होते है। हनुमान, रावण, जटायु आदि का शृंगार भी हमारे यहाँ से भिन्न होता है। 

बाली की हिन्दू महिला अपने घर के मंदिर में पूजा करते हुए 


     शो समाप्त होने पर सभी मुख्य कलाकार मंच पर आ जाते हैं और कुछ दर्शक भी उनमे मिल जाते हैं। उस दिन के शो के दर्शकों में केवल मैं ही भारतीय और हिन्दू भी था। मैं भी मंच पर कलाकारों के बीच चला गया। जब मैंने उनको बताया की मैं श्री राम सीता जी के देश से आया भारतीय हिन्दू हूँ, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और कई अभिनेता पात्रों ने मेरे साथ चित्र खिचवाए।   

रामलीला के हनुमान के साथ मैं

मैं और सीता बनी कलाकार  


मैं और रावण