May 6, 2020

लॉकडाउन में बाल कटवाए तो याद आ गया स्वीडन


बाल बनवाए तीन महीने हो चले थे। इन बढ़े बालों ने सूरत तो बिगाड़ ही दी थी पर अब असुविधा भी मैसूस होने लग गई थी। ऐसे में सोचा क्यों न पड़ोस में रहने वाले नाई, जिसकी दुकान और बिजनेस लौकडाउन  के कारण बंद था, को पूछा जाय कि क्या वह सहायता कर सकेगा और घर में आकर बाल काट जाएगा? वह तुरंत मान गया, पर साथ धीरे  से यह भी बोला कि सौ रुपए होंगे (यहाँ मेरे शहर में बाल काटने का आम रेट चालीस रुपये  है)। मैंने हाँ करदी और उसको बुला लिया। मैं घर के बाहर कुर्सी पर बैठ गया। सावधानी के तौर पर मैंने उसे केवल अपनी कैंची ही लाने को कहा जो मैंने उपयोग से पहले सैनिटाइज़ कर ली। बाकी तौलिया आदि मैंने अपना ही दिया। लगता है कि इस मंदी के वक्त में उसको भी काम की जरूरत थी। उसने बड़ी तबीयत से मेरे बाल काटे। भारत में बाल कटवाने के मैंने अपने जीवन में ये सबसे ज्यादा पैसे दिये थे। मेरी उम्र 81 वर्ष है और मैंने दो आने से बाल कटवाने शूरु किए थे।
            इस बात ने मुझे और मेरी पत्नी को 32 साल पहले के हमारे स्वीडन प्रवास के दिन याद दिला दिये। तब हम साउथ स्वीडन शहर कृहनस्टाड की एक देहाती उपबस्ती बाल्सगार्ड में रहते थे जो कृहनस्टाड 11 किलोमीटर थी। बाल्सगार्ड में कोई भी बाज़ार आदि नहीं था और सभी सुविधाओं के लिए हमें कृहनस्टाड जाना पड़ता था। हम यूनिवर्सिटी के गैस्ट हाउस में रहते थे। हमारे साथ के सैट में एक चीनी विद्यार्थी युवक रह रहा था। वह हमसे चार महीने पहले वहाँ आया था और कुछ दिनों में वापिस जाने वाला था।  

 क्रिहनस्टाड के बस स्टैंड पर मेरी पत्नी पुष्पा
            यह हमारी पहली विदेश यात्रा नहीं थी। मुझे इस बात का एहसास था का विदेशों में बाल कटवाना काफी महंगा होता है। इसलिए मैंने चलने से पहले सोलन में, जहां मैं उस समय कार्यरत था, बाल कटवा लिए थे।
            जब स्वीडन में बाल कटवाने लायक हो गए, तो मैंने अपने स्वीडिश साथियों से पूछा कि मैं बाल कहाँ कटवाऊँ। पर जब मैंने रेट सुना तो मेरे होश तो उड  गए। वहाँ पुरुषों की बालकटाई का रेट कम से कम चार सौ रुपये था। उस समय सोलन में इस काम में पाँच रुपये से अधिक नहीं लगा करते थे। पर स्वीडन में तो यह रेट दो हज़ार रुपये तक था।


            स्वीडन में एक नाई की दुकान 
              हमारा पड़ोसी चीनी युवक वांग हमारी हैरानी ताड़ गया था। उसने हंस कर मेरी पत्नी को सलाह दी कि इतना पैसा बर्बाद करने के बजाय वो मेरे बाल खुद ही काट लिया करे। उसने फिर कहा कि उसे बाल कटाई के महंगे रेटों बारे में चीन से चलने के पहले चीन में उसके अनुभवी चीनी मित्रों ने सावधान कर दिया था और इसलिए वो वहाँ से बाल काटने की मशीन और कैंची लेकर आया है और हम इनका  उपयोग करके ये खर्च बचा सकते हैं। हमें भी उसकी बात में बुद्धिमानी नज़र आई और फिर जब तक हम वहाँ रहे, मेरी पत्नी ही मेरे बाल काटती रही। चीनी युवक शीघ्र ही वापिस चला गया। जाते हुए ये दोनो चीज़ें वह हमें भेंट कर गया। वहाँ से वापिस आते हुए हम इन्हें अपने साथ भारत भी ले आए। कैंची तो साधारण थी पर वह मशीन बहुत ही उत्तम क्वालिटी की थी और बाल बहुत अच्छी तरह, बिना बाल उखाड़े, काटती थी। बाद में मैंने ये दोनों चीज़ें यहाँ अपने नाई को दे दी थी।
बाल्सगार्ड में मेरे एक सहयोगी के परिवार संग पुष्पा 
            यहाँ मैं पाठकों को एक बात समझाना चाहता हूँ कि उन दिनों जब भी किसी भारतीय को विदेश में काम करने का अवसर मिलता था, तो उसका मुख्य ध्येय वहाँ अधिक से अधिक बचत करके पैसा या विदेशी सामान, जो भारत में उन दिनों दुर्लभ हुआ करता था, लाना हुआ था। इसलिए सभी ज्यादा से ज्यादा पैसा बचाने की कोशिश में रहा करते थे। सोलन में उस समय मेरी  तनख्वाह कोई 6-7 हज़ार के आस पास रही होगी। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि बाल कटाने के 400 रुपये मुझे कितने अधिक लगे होंगे। आप यह भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस चीनी युवक की दी हुई वह कैंची और मशीन तथा मेरी पत्नी पुष्पा की बाल काटने की स्किल(?) हमारे लिए कितनी उपयोगी सिद्ध हुई होगी।
            यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक रहेगा कि स्वीडन में हैयर ड्रेस्सिंग की वहाँ की आईटीआई किस्म के संस्थानों में विशेष ट्रेनिंग हुआ करती थी। हमारे यहाँ की तरह कोई भी युवक/युवती किसी उस्ताद से बाल काटना सीख कर नाई का काम नहीं कर सकता था। कम से कम अवधि का कोर्स एक साल का था और इस कोर्स की बहुत मांग थी। हमें हमारी पड़ोसन ने बताया कि स्वीडन में एमबीबीएस जैसे कोर्स के लिए इतने आवेदक नहीं होते जितने कि हैयर ड्रेस्सर के कोर्स में दाखिला लेने के लिए होते हैं क्यों कि यह वहाँ यह बहुत ही कमाई वाला व्यवसाय था।  
   

1 comment:

  1. You have uncanny way of narrating anecdotes. Enjoyed reading it.

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